लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2021 मेरे गीत
मेरे गीत समय की धारा
कोई समझे इनको भी किनारा
चाहत ये मन में है पलती,
तितली भी अठखेलियां करती ,
फूलों पर भवरे मंडराते ,
सांझ होते ही छुप जाते,
मेरे गीत.........................
गीतों में मेरी तुम आवाज को सुनना ,
छुपी जो खनखनाहट उसको बुनना ,
दबा हुआ था आगाज़ जो होता ,
चेहरे से तेरे लगे नूर छलकता,
मेरे गीत.....................
हसरत बस इतनी सी मुझको होती ,
हाथ मेरा थाम थोड़ी दूर साथ तू होती ,
आंचल तेरा पकड़े मैं भी रहता ,
तुम हो मेरी दुनिया से यह कहता ,
मेरे गीत.......................
सपने जैसे तुम्हारे बुनता हूंँ,
कांटों को राहों से चुनता हूंँ ,
पाषाण न बन जाऊं मैं कहीं ,
फूलों की मुझको कोई चाह नहीं ,
मेरे गीत.............................
रोशन मैं तेरा जहां कर दूं ,
आजा सनम मांग तेरी भर दूं,
मिले हम बन जाए एक दूजे का सहारा,
चमके तू गगन में जैसे हो कोई सितारा,
मेरे गीत.................................
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा दिल्ली)
Farhana ۔۔۔
14-Dec-2021 04:58 PM
Good
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Zakirhusain Abbas Chougule
14-Dec-2021 12:18 AM
Nice
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Shrishti pandey
13-Dec-2021 11:41 PM
Bahut khoob
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